हिसार/ आवाज संवाद् दाता
हिसार जिला के पुलिस अधीक्षक अश्विन शेणवी ने जिले
भर में संचालित साइबर कैफों के संचालकों को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 149 के तहत नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं ताकि साइबर कैफों का
सही व प्रभावी इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि देखने में आया है
कि साइबर कैफे बहुत ही संवेदनशील स्थल बन चुके हैं ,जहां
रोजाना सैंकड़ों की संख्या में लोग आते जाते हैं। इस दौरान वे यहां पर इंटरनेट का
प्रयोग विभिन्न रूपों में करते हैं, जिनमेें ई-मेल, सर्च, वेबसाइट देखना आदि शामिल हैं। श्री शेणवी ने बताया कि ऐसे में
असामाजिक तत्वों द्वारा इंटरनेट के गलत इस्तेमाल की संभावना से इंकार नहीं किया जा
सकता। उन्होंने आशंका जताई कि इंटरनेट सर्फिंग के लिए ऐसे लोग भी साइबर कैफे पर आ
सकते हैं ,जो आतंकी प्रवृति के हैं तथा अराजकता, अव्यवस्था व दहशत फैलाना जिनका मकसद हो सकता है। ऐसे में इन
लोगों पर नजर रखने तथा किसी भी तरह की कानून व्यवस्था व अनहोनी से निपटने के लिए
साइबर कैफे संचालकों को कुछ जरूरी एवं कानूनी दिशा-निर्देशों की पालना करना आवश्यक
होगा।
उन्होंने बताया कि नए निर्देशों के तहत कैफे
संचालक ऐसे किसी भी व्यक्ति को अपनी सेवाएं नहीं देगा, जिसकी पहचान प्रमाणित करना संभव न हो। विजिटर की पहचान रखने
के लिए संचालक को रजिस्टर लगाना होगा। इसके अलावा विजिटर के लिए अपनी हेंडराइटिंग
में रजिस्टर में अपना पूरा पता दर्ज करने के अलावा पहचान साक्ष्य व हस्ताक्षर करने
जरूरी किए गए हैं। विजिटर की पहचान
स्थापित करने के लिए संचालक विजिटर का पहचान पत्र/ वोटर कार्ड/राशन
कार्ड/ड्राइविंग लाइसेंस/ पासपोर्ट या फोटो क्रेेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर सकता
है।
दिशा-निर्देशों के अनुसार विजिटर की गतिविधि
को मुख्य सर्वर में स्टोर किया जाए तथा कम से कम छह महीने इसे संरक्षित करने की
व्यवस्था भी हो। अगर कैफे संचालक को किसी विजिटर की गतिविधि संदिगध प्रतीत होती है
तो वह तुरंत नजदीकी पुलिस थाना को सूचित करें। इसके अलावा उस कम्प्यूटर का डाटा
सुरक्षित रखना भी जरूरी होगा, जिस कम्प्यूटर का इस्तेमाल
संदिगध व्यक्ति द्वारा किया गया है। पुलिस अधीक्षक ने चेताया कि अगर कोई भी कैफे
संचालक उक्त निर्देशों की अवहेलना करता पाया गया तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता
के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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