कुरुक्षेत्र उत्सव-गीता जयंती समारोह
छात्र-छात्राओं
ने राधा-कृष्ण की प्रस्तुतियां देकर बिखेरी अद्भुत छटा
कुरुक्षेत्र/पवन सोंटी
कुरुक्षेत्र
उत्सव गीता जयंती समारोह में शनिवार को ब्रह्मसरोवर के तट पर पुरुषोत्तमपुरा बाग में
मुख्य सांस्कृतिक मंच पर शिक्षा विभाग हरियाणा के सौजन्य से सरकारी व गैर सरकारी शिक्षण
संस्थाओं के छात्र-छात्राओं ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियों से कुरुक्षेत्र उत्सव को
राधा-कृष्णमय बनाते हुए अद्भुत छट्टा बिखेरी। विद्यालयों व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय
के महाविद्यालयों की मिलीजुली प्रस्तुति ने कुरुक्षेत्र नगर के बाशिंदो को भगवान कृष्ण
के विभिन्न प्रसंगों से जोड़ते हुए अध्यात्म का संदेश भी दिया। यह कार्यक्रम कुरुक्षेत्र
विकास बोर्ड, सूचना, जन सम्पर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग हरियाणा, उत्तर क्षेत्र
सांस्कृतिक केंद्र पटियाला तथा हरियाणा पर्यटन विभाग के तत्वाधान में आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन जानी मानी संगीतज्ञ एवं हरियाणा के राज्यपाल के सचिव
की धर्मपत्नी डॉ. शशी कालिया ने पारम्परिक दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर प्रस्तुतियों
का आगाज़ गणपति वंदन से हुआ, जिसमें गीता निकेतन आवासीय विद्यालय की छात्राओं ने महाराष्ट्रीयन
परिधानों में वहां की अद्भुत नृत्य शैली का मुजाहरा किया। इसके बाद विभिन्न विद्यालयों
व महाविद्यालयों द्वारा योगीराज कृष्ण को समर्पित कार्यक्रम में जहां बाल गोपाल कृष्ण
की लीलाओं का समावेश दिखाई दिया तो सर्व शक्तिमान भगवान कृष्ण का विराट स्वरूप, प्रभु
का नरङ्क्षसह अवतार तथा बालक कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उगंली पर उठाने की प्रस्तुतियों
ने आम जनमानस को भगवान कृष्ण के सानिध्य से जोड़ा। इन सभी कार्यक्रमों को दर्शकों ने
आत्मसात करते हुए भरपूर स्वागत भी किया। सहारा पब्लिक स्कूल व महंत प्रभात स्कूल द्वारा
प्रस्तुत कृष्ण लीला में सखियों संग रास रचाते कृष्ण के मुखमंडल की आभा से वातावरण
में एक नई चमक पैदा हुई तो गुरू नानक पब्लिक की पंजाब का लोक नृत्य गिद्दा की प्रस्तुति
से पंडाल तालियों से गूंज उठा। आर्य कन्या विद्यालय शाहबाद का राजस्थानी नृत्य, एसडी
वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की रासलीला ने भी खूब समाबांधा। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय
के एमएलएन कालेज यमुनानगर के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत लघु नाटिका ने जहां समाज
में फैली कुरीतियों पर गहरे प्रहार किए तो यह लघु नाटिका लुप्त हो रही लोक कलाओं को
सुरक्षित रखने के प्रयासों की तरफ भी एक पुख्ता कदम थी। इसी तरह मंच पर धमाल मचाती
डीएवी कालेज की छात्राओं हरियाणवी नृत्य की प्रस्तुति ने भी दर्शक दीर्घा को हरियाणा
प्रदेश की समृद्ध लोक नृत्य शैली के दर्शन करवाएं, वहीं हरियाणवी संगीत का पश्चिम के
साथ बेहतरीन संगम प्रस्तुत करती हरियाणवी पॉप संगीत की प्रस्तुति भी बेजोड़ थी। अनेक
प्रस्तुतियां हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, हिमाचल और उतरांचल की सांस्कृतिक परिवेश
की जहां झलक संजोए थी, वहीं आधुनिक युग में हमारी बदलती हुई जिंदगी के मूल्यों को करारी
चोट भी करती है। कुरुक्षेत्र, थानेसर, लाडवा तथा शाहबाद के सरकारी व गैर सरकारी शिक्षण
संस्थाओं के छात्र-छात्राओं ने प्रस्तुतियों के अनुरूप वेशभूषा, बनाव, श्रृंगार तथा
पृष्ठभूमि में गीत-संगीत के साथ बेहतरीन संगत से हर प्रस्तुति को लाजवाब स्वीकार्य
बनाया, जिसे श्रोताओं ने खूब पसंद किया।
गीता जयंती
समारोह कला साधकों का करता है मार्ग प्रशस्त : शशि कालिया
डा. शशी कालिया
ने बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र उत्सव गीता जयन्ती समारोह
कलाकारों को एक ऐसा मंच प्रदान करता है, जहां कला और साधक न केवल अपनी कला का प्रदर्शन
करते है, अपितु इस कार्यक्रम के माध्यम से नई पीढ़ी के कला साधकों का भी मार्ग प्रशस्त
होता है। प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में पहचान रखने वाला धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र
विभिन्न संस्कृतियों की मिलन स्थली के रूप में भी देश भर में अपनी पहचान बना चुका है।
इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अशोक बांसल ने मुख्य
अतिथि का स्मृति चिह्न भेंट किया तथा जिला सूचना एवं जन सम्पर्क अधिकारी देवराज सिरोहीवाल
ने कुरूक्षेत्र विश्व विद्यालय के युवा कल्याण विभाग के निदेशक अनूप लाठर को स्मृति
चिह्न प्रदान कर उनका सम्मान किया।
वंदना जोशी
रंगोली के माध्यम से कन्या भू्रण हत्या रोकने के लिए लोगों को कर रही है जागरूक
कुरुक्षेत्र/यज्ञदत्त
शास्त्री
रंगोली में
इंग्लैण्ड की रणबीर कौर का विश्व रिकार्ड तोडऩे वाली मुम्बई की वंदना जोशी अपने बेटे
केतन जोशी के साथ आजकल कुरुक्षेत्र उत्सव-गीता जयंती के दौरान ब्रह्मसरोवर के किनारे
रंगोली के माध्यम से वेदों के प्रचार के साथ-साथ कन्या भ्रूण हत्या रोकने व पानी बचाओं
अभियान चलाकर लोगों को जागरूक कर रही है। गीता जयन्ती उत्सव में आने वाले लोग जब रंगोली
को निहारते हैं तो वंदना जोशी के प्रयासों की सराहना किए बिना नही रह सकते। वंदना जोशी महाराष्ट्र की 5 हजार वर्ष पूर्व की
रंगोली परम्परा को आगे बढाने में भी अपना भरपूर योगदान दे रही है। उन्होंने बताया कि
भारतीय संस्कृति में वेदों का अपना महत्व है। इन वेदों यजुर्वेद, ऋग्वेद, अथर्वेद व
श्याम वेद की बड़े आकार की रंगोली बनाकर लोगों का ध्यान आकृष्ट कर रही हैं। इन्हे लीक
से हटकर बड़ी रंगोली बनाने का बचपन से ही शौक रहा है। यही कारण है कि इन्होंने वर्ष
2004 में 5 हजार 51 स्केयरफूट के रंगोली बनाकर इंग्लैण्ड की रणबीर कौर का 1700 स्केयर
फूट विश्व रिकार्ड तोड़ा था। इसी कारण इनका नाम गिनीज बुक ऑफ विश्व रिकार्ड में दर्ज
किया गया है। यह रिकार्ड इन्होंनें नागपूर में बनाया था। वंदना जोशी को रंगोली में
दिल्ली के लाल किला में स्वतन्त्रता संग्राम की 150 वीं वर्षगांठ पर भी सम्मानित किया गया। इन्होंने इस
समारोह में महाराष्ट्र सरकार की तरफ से प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला था। वर्ष 2008 में फरीदाबाद में आयोजित सुरजकुण्ड मेले
में भी शानदार रंगोली बनाने के कारण इन्हे सम्मानित किया गया इसके अतिरिक्त चण्डीगढ
कलाग्राम शिविर में इनकी रंगोली को सम्मानित किया गया। वंदना जोशी ने एक भेंट में बताया
कि उन्हे रंगोली की कला अपनी मां से विरासत में मिली है और इस कला को अपने बेटे केतन
जोशी को सीखाकर तीसरी पीढ़ी तक विस्तार किया है। उन्होंने बताया कि जल संकट व कन्या
भू्रण हत्या आज के समाज के सामने गम्भीर समस्या है इसलिए उन्होंने जल संकट की रंगोली
में मच्छली को ऑक्सीजन सिलेण्डर से ऑक्सीजन देते हुए दिखा समाज का ध्यान जल बचाने की
ओर दिलाया है। उन्होंने बताया कि भूमिगत जल स्तर गिरता जा रहा है। ऐसे में हमे एक-एक
बूंद जल की बचानी होगी। कन्याओं को बचाने के लिए विशेष जागरूकता अभियान की जरूरत है
इसलिए कन्या बचाओं पर भी रंगोली बनाई जा रही है। वंदना जोशी पिछले 10 वर्षों से गीता
जंयती समारोह में लगातार आ रही हैं। वंदना जोशी ने कहा कि गीता जयन्ती समारोह में आकर
उन्हे बेहद खुशी होती है क्योंकि कुरुक्षेत्र की इस पावन भूमि पर भगवान श्री कृष्ण
ने गीता का अमर संदेश दिया था इसलिए यह स्थान महान व पवित्र है। ऐसी जगह पर सरकार द्वारा
आमन्त्रित करना सबसे बड़ा पुरस्कार है।
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