Monday, December 5, 2011

कुरुक्षेत्र उत्सव-गीता जयंती समारोह का चौथा दिन......



धर्म नगरी में कलाकारों ने बिखेरे सांस्कृतिक छटा के रंग
5 दिसम्बर, कुरुक्षेत्र (पवन सोंटी)
कुरुक्षेत्र उत्सव गीता जयंती के चौथे दिन पुरुषोत्तमपुरा बाग के मुख्य मंच पर सोमवार को 12 राज्यों के 300 से अधिक कलाकारों ने देश के विभिन्न क्षेत्रों की सांस्कृतिक छटा के रंग बिखेरे। इस मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति को दर्शकों ने खूब सराहा और पुरूषोत्तमपुरा बाग के मंच पर ही कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुति के माध्यम से पूरे देश के सांस्कृतिक रंगों से रूबरू हुए। इस कार्यक्रम में एक लम्बे अंतराल के बाद कश्मीर से आए कलाकारों की प्रस्तुति और मौजूदगी दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र रही।  इस कार्यक्रम का शुभारम्भ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय  के रजिस्ट्रार सुरेन्द्र देसवाल ने किया और कार्यक्रम की अध्यक्षता कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अशोक बांसल ने की। यह कार्यक्रम कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड, उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र पटियाला तथा सूचना, जन सम्पर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग हरियाणा व पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वाधान में किया। इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज मध्यप्रदेश के खण्डवा नामक घनघोर नृत्य से हुआ। यह नृत्य मध्यप्रदेश का एक लोकप्रिय नृत्य है और इसे होली के दस दिन बाद स्थानीय लोगों व कलाकारों द्वारा अपनी खुशी का इजहार करने के लिए प्रस्तुत किया जाता है। इसके उपरान्त मणीपुर के कलाकारों ने कृष्ण भगवान की लीलाओं पर आधारित लाई हरोबा नामक गीत प्रस्तुत करके दर्शकों की तालियां बटोरी और भगवान श्री कृष्ण की गीता संदेश स्थली को नमन किया। शारीरिक करतबों व हैरतअगेंज करने वाली प्रस्तुति के द्वारा छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने पंथी नृत्य के माध्यम से अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज करवाई। कश्मीर से आए कलाकारों ने वहां की संस्कृति को प्रतिबिम्बित करते हुए रूफ़ नृत्य प्रस्तुत किया और कलाकारों की यह नृत्य शैली दर्शकों के मन पर अपनी विशेष छाप छोडऩे में सफल रही। झारखंड की संस्कृति में अपने ही अंदाज में मैहसासुर मर्दन की ऐतिहासिक और धार्मिक घटना की प्रभावी प्रस्तुति के माध्यम के रूप में प्रस्तुत किया गया पुरूलिया छाऊ व इसी प्रदेश से आए कलाकारों द्वारा मार्शल आर्ट पर आधारित पायिका नृत्य भी दर्शकों ने खूब सराहा। होली के अवसर पर विहार में प्रस्तुत किया जाने वाला होली धमाल नृत्य दर्शकों का मनोरंजन करने में सफल रहा। 

कालबेलिया नृत्य ने किया दर्शकों को अचंभित
इसके उपरांत राजस्थान के कालबेलिया नृत्य के दौरान कलाकारों ने आंखों की पलकों से अंगुठी, सुई और लेजर उठाकर दर्शकों को अचंभित कर दिया और नृत्य के साथ-साथ शानदार शारीरिक दक्षता का भी परिचय दिया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कड़ी में उड़ीसा के कलाकारों द्वारा सामूहिक नृत्य गोटी पुआ प्रस्तुत किया गया। इस नृत्य में पुरूष कलाकारों द्वारा महिलाओं की वेश-भूषा में वहां की संस्कृति की झलक प्रस्तुत की गई। इसके उपरान्त गुजरात के कलाकारों द्वारा कृष्ण रास लीला, पंजाब के कलाकारों का भांगड़ा, गुजरात का डांगी में डाडिया व सिद्धि धमाल की प्रस्तुति , मणीपुर का थांगटा नृत्य और कर्नाटक का कुनिटा नृत्य भी दर्शकों ने खूब सराहा। कार्यक्रम में केडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अशोक बांसल ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह प्रदान किया। इस अवसर पर जिला सूचना एवं जन सम्पर्क अधिकारी देवराज सिरोहीवाल सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी व गणमान्य मौजूद थे। 


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