महासंग्राम में युद्घ नियमों की धज्जियां
उड़ायी गईं थीं
विश्व के सब से वृद्ध योद्धा और गर्भस्थ
शिशु तक की हत्या हुई
कुरुक्षेत्र /सुरेंदरपाल सिंह वधावन
धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र का 48 कोस का परिधि क्षेत्र महाभारत की युद्घ स्थली के रुप में विख्यात
है। इस क्षेत्र में ज्योतिसर की पवित्र स्थली पर भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के उपदेशामृत
से धनुर्धारी अर्जुन को ज्ञान और कर्म का बोध कराया था। श्रीमद्भागवत गीता विश्व का
एकमात्र ऐसा दिव्य ग्रंथ है जिसके तत्वज्ञान को स्वंय भगवान ने श्रीमुख से उच्चारण
कर सृष्टि के कल्याणार्थ मानव को दिया था। भारत में आर्यों का आगमन 1700 ईसा पूर्व हुआ था और वेदों
का रचना काल 1200 ईसा पूर्व माना जाता है। रामायण काल को
त्रेतायुग में और महाभारत के घटनाक्रम को द्वापर युग के अंत और कलियुग के आरम्भ तक
माना गया है। महाभारत ग्रंथ की रचना ईसा से लगभग 400 वर्ष पूर्व आरंभ की गई और इसकी लेखन
प्रक्रिया 300 ईसवी तक निरंतर चली। इस महाकाव्य की रचना 18 पुस्तकों के रूप में की गई जिनमें
2लाख छंद संग्रहीत
हैं। महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने मानव के रुप में अवतरित हो कर
पृथ्वी पर कुंतीपुत्र अर्जुन का चयन कर उसे
गीता का दिव्य ज्ञान प्रदान किया था। इस लिहा$ज से गांडीवधारी अर्जुन भगवान
के सर्वाधिक प्रिय होने के नाते विश्व के सबसे सौभाग्यशाली प्राणी माने जा सकते हैं।
महाभारत के युद्घ में कोरवों और पांडवों की और से 27 अक्षोहिणी सेना ने भाग लिया था।
इस महाप्रलंयकारी युद्घ में पूरे भारतवर्ष में एक भी ऐसा परिवार नहीं बचा था जिसके
धर में मातम न छाया हो। इस युद्घ में कौरवों व पांडवों की लगभग समूची सेना का नाश हुआ
था हजारों की संख्या में रथी और महारथी वीरगति को प्राप्त हुये। वीर-विहीन हो गई थी
भारत की धरती।
महाभारत के इस महासंग्राम में युद्घ नियमों की धज्जियां उड़ायी गईं थी। गर्भस्थ
शिशु से लेकर विश्व के सबसे वृद्घ व्यक्ति तक की छल कपट से हत्या की गई थी। इस महायुद्घ
में वयोवृद्घ पितामह भीष्म को जहां तीरों की शय्या पर बिंधना-बिछना पड़ा वहीं 16 वर्षीय बालक अभिमन्यु का सात महारथियों
द्वारा कपटता और नृशंसता से वध भी किया गया। पांचों पांडवों द्वारा उत्पन्न द्रौपदी
के पांच पुत्रों की सोते हुये ही हत्या कर दी गई थी। अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भस्थ
शिशु परीक्षित पर ब्रह्मास्त्र चला कर अश्वथामा ने उसकी हत्या का प्रयास किया था। परीक्षित
की रक्षा भगवान श्रीकृष्ण ने की और उसे जीवनदान दिया था।दुर्याेधन का वध भीम ने गदा
युद्घ नियमों का उल्लंघन कर के किया । युद्घ
के उपरांत धृतराष्ट्र ने आलिंगन के बहाने महाबली भीम की हत्या का प्रयास किया था।
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