भारत की दस्तकारी
को देखकर गदगद हुए प्रो. रिचर्ड डेविस
न्यूयार्क से आए
प्रोफेसर रिचर्ड डेविस का देवराज सिरोहीवाल ने किया जोरदार स्वागत
कुरूक्षेत्र,
6 दिसम्बर (पवन सोंटी)
कुरुक्षेत्र उत्सव
गीता जयंती समारोह में ब्रह्मसरोवर के तट पर सम्पूर्ण भारत की दस्तकारी को देखकर
अमरीका के न्यूयार्क से आए प्रोफेसर रिचर्ड डेविस गदगद हो गए। शिल्पकारों के कला
कौशल के साथ-साथ देश के हर कोने की सांस्कृतिक विरासत भी अमरीका वासी के जहन में समा गई। उत्सव के इन स्वर्ण पलों को
प्रो. रिचर्ड डेविस ज्यादा समय तक अपने दिलो दिमाग पर सीमित नहीं रख पाए। प्रो.
डेविस ने अपने इन अनोखे अनुभवों को न केवल जिला उपायुक्त मंदीप बराड़, एडीसी सुमेधा कटारिया से सांझा किया, बल्कि मीडिया के लोगों से भी खुलकर जयंती
समारोह पर बातचीत की। मंगलवार को कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सभागार में स्थापित
किए गए मीडिया सेंटर में पंहुचने पर जिला सूचना एवं जन सम्पर्क अधिकारी देवराज
सिरोहीवाल ने प्रो. रिचर्ड डेविस का स्वागत किया। यहां पर पत्रकारों से बातचीत
करते हुए न्यूयार्क की एक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिचर्ड डेविस ने कहा कि बचपन
में स्कूल और कालेज में शिक्षकों के मुख से भारत की संस्कृति और विरासत के झरोखों
के बारे में सुना था। तब से भारत की संस्कृति से रू-बरू होने की तमन्ना थी। अपनी
इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए वे कुरुक्षेत्र उत्सव गीता जयंती समारोह में पहले
भी आए थे लेकिन मन की अभिलाषा पूरी नहीं हो पाई थी। इस बार कुरुक्षेत्र उत्सव
समारोहों में क्राफ्ट और सरस मेले के साथ-साथ पुरुषोत्तमपुरा बाग के मंच और
ब्रह्मसरोवर के तट पर विभिन्न प्रदेशों से आए कलाकारों के लोक नृत्यों और लोक
गीतों को देखकर बचपन की तमन्ना पूरी हो गई। उन्होंने कहा कि इस उत्सव में भारत की
संस्कृति और विरासत को देखकर पूरी तरह भाव-विभोर हुए। यहां पर पंहुचे दस्तकारों की
कला और गुरुओं के सुंदर प्रयास को देखकर निश्चित ही आश्चर्य हुआ है। इस प्रकार की
दस्तकारी दुनिया के किसी भी कोने में नहीं है। प्रो. रिचर्ड का कहना है कि
श्रीमदभागवदगीता के पवित्र ग्रंथ का भी गहनता से अध्ययन कर चुके हैं। कुरुक्षेत्र
की भूमि पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश देकर एक ऐसे महान ग्रंथ
की रचना की है, जिस ग्रंथ के
एक-एक शब्द का पूरी दुनिया को प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि इस उत्सव में
प्रशासन ने उच्च कोटि के प्रबंध किए हुए हैं। प्रशासन की सतर्कता के कारण भीड़ में
भी आम व्यक्ति सहजता से हर स्टाल का अवलोकन कर सकता है। उन्होंने मीडिया की
प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत की आधुनिक पत्रकारिता ने सरहदों को भी पीछे छोड़
दिया है।
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