Wednesday, December 14, 2011

शाहाबाद में किसानों की महापंचायत 15 को


सरकार को दी गई समय सीमा समाप्त
 महापंचायत में लिए जा सकते हैं कठोर निर्णय
शाहाबाद मारकंडा/ सुरेंदर पाल सिंह वधावन
भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले  6 दिसंबर को शाहाबाद में हुई एक बैठक में सरकार को दी गई समय सीमा बुधवार को समाप्त हो गाई और सरकार की ओर से किसानों  को अपनी फसलों एवं आलूओं के उचित मूल्य बारे कोई घोषणा नहीं की गई। किसानों की प्रस्तावित महापंचायत 15 दिसंबर को शाहाबाद-बराड़ा रोड पर शहीद उद्यम ङ्क्षसह स्मारक के सामने होगी जिसमें सैंकड़ों किसान जुटने की संभावना है और महापंचायत कोई भी कठोर निर्णय ले सकती है। बुधवार को शाहाबाद में पत्रकारों से बातचीत में भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम ङ्क्षसंह चढूनी ने कहा है कि 15 दिसंबर को शाहाबाद में प्रस्तावित किसानों की महापंचायत में हजारों किसान भाग लेंगे। उन्होने बताया कि बनाई गई टीमों ने गांव गांव जाकर प्रचार किया है और किसानों को जागरूक किया है। उन्होने किसानों की इस बर्बादी के लिए केन्द्र व राज्य सरकार को दोषी ठहराया। पत्रकारों से बातचीत में भाकियू प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा कि इस वर्ष किसानों को आलू उत्पादन में भारी नुकसान उठाना पड़ा है। आलू उत्पादन पर 4रूपए 80 पैसे प्रति किलो खर्चा है जबकि कीमत मात्र 3 रूपए प्रति किलो ही मिल रही है। पिछले वर्ष जिन किसानों ने आलू स्टोर में रखा था उन्होंने अंत में स्टोर के किराए के बराबर कीमत पर आलू बेचा है और कईं किसानों का तो स्टोर का किराया भी पूरा नहीं हुआ और आलू को फैंकना पड़ा। इस प्रकार किसानों को 45 हजार रूपए प्रति एकड़ का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि मुनाफा तो दूर की बात है इस वर्ष उत्पादन लागत से करीब 18 हजार रूपए प्रति एकड़ कम मिल रहा है। इस वर्ष अन्य फसलों में भी किसानों को जी भर कर लूटा गया है। बासमती धान जो पिछले वर्ष 25003000 रुपए बिकी थी वह इस वर्ष 1500 से 1800 रुपए बिकी है। कपास जहां पिछले वर्ष 7000 रुपए प्रति क्विंटल बिकी थी वहीं इस वर्ष 4000 रुपए भी नहीं बिक रही। बाजरा जिसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 980 रुपए प्रति क्विंटल है वहीं 90 प्रतिशत बाजरा 700 से 750 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बिका है। ऐसे में किसान कैसे गुजारा कर रहा है और कैसे जी रहा है सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इसलिए देश में लाखों किसान आत्महत्या कर चुके हैं या यह भी कह सकते हैं कि सरकार ने आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर दिया है। इसलिए अभी भी वक्त है कि सरकार किसानों की आर्थिक हालत सुधारने का प्रयास करे। उन्होंने मांग की है कि आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए जो स्वामी नाथन आयोग के फामूले सी-2 जमा 50 प्रतिशत के हिसाब से करीब 7.25 रुपए प्रति किलो बनता है। आलू को तुरंत निर्यात किया जाए। स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट अनुसार जब किसी कृषि उत्पाद का रेट मार्किट में ज्यादा गिरता है उससे किसानों को बचाने के लिए सरकार एक कोष स्थापित करे। इससे ऐसे समय में किसान की भरपाई की जा सके। आलू उत्पादक किसानों को तुरंत राहत देने के उपाय किए जाएं।

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