Friday, December 16, 2011

किसानों की महापंचायत में आलू के दामों पर किसान नेता गरजे पर बरसे नहीं



पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल 19 को मिलेगा मुख्यमंत्री से
भावी रणनीति 22 को होने वाली महा पंचायत में
शाहाबाद मारकंडा/सुरेंदर पाल सिंह वधावन

आलू के दामों को लेकर भारतीय किसान यूनियन की नई अनाज मंडी में हुई महापंचायत मे किसानों का रोष उभर कर सामने आया। लेकिन भाषणों के दौरान बार-बार जीटी रोड जाम करने की धमकियों से प्रशाासन की सांसे अटकी रहीं। लेकिन बाद दोपहर जब प्रशासनिक अधिकारियों ने भाकियू नेताओं के एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को 19 दिसंबर को मुख्यमंत्री से चंडीगढ़ में मिलवाने का आश्वासन दिया। तब उसके बाद किसान शांत हुए और स्थिति सामान्य हो गई। भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि 19 दिसंबर को मुख्यमंत्री से होने वाली वार्ता का कोई परिणाम नहीं निकलता तो 22 दिसंबर को नई अनाज मंडी शाहाबाद में किसानों की महापंचायत होगी जिसमें सरकार से आर-पार लड़ाई शुरू हो जाएगी। इस अवसर पर शुगर मिल के एमडी कैप्टन शक्ति सिंह डयूटी मैजिस्ट्रेट के तौर पर मौजूद थे वहीं एसडीएम सुशील कुमार, तहसीलदार कैप्टन विनोद शर्मा भी प्रशासनिक अमले के साथ मौके पर डटे रहे। किसी अप्रिय घटना से बचाव के लिए भारी पुलिस बल तैनात थे। जिनकी कमान डीएसपी हैडक्वार्टर भूपेंद्र सिंह व एसएचओ योगेश हुड्डा संभाले थे।  इससे पूर्व किसानों को संबोधित करते हुए भाकियू प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा कि इस वर्ष किसानों को आलू उत्पादन में भारी नुकसान उठाना पड़ा है। आलू उत्पादन पर 4 रुपए 80 पैसे प्रति किलो खर्चा है जबकि कीमत मात्र 3 रुपए प्रति किलो ही मिल रही है। पिछले वर्ष जिन किसानों ने आलू स्टोर में रखा था उन्होंने अंत में स्टोर के किराए के बराबर कीमत पर आलू बेचा है और कईं किसानों का तो स्टोर का किराया भी पूरा नहीं हुआ और आलू को फैंकना पड़ा। इस प्रकार किसानों को 45 हजार रुपए प्रति एकड़ का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि मुनाफा तो दूर की बात है इस वर्ष उत्पादन लागत से करीब 18 हजार रूपए प्रति एकड़ कम मिल रहा है। इस वर्ष अन्य फसलों में भी किसानों को जी भर कर लूटा गया है। बासमती धान जो पिछले वर्ष 25003000 रुपए बिकी थी वह इस वर्ष 1500 से 1800 रूपए बिकी है। कपास जहां पिछले वर्ष 7000 रुपए प्रति क्विंटल बिकी थी वहीं इस वर्ष 4000 रुपए भी नहीं बिक रही। बाजरा जिसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 980 रुपए प्रति क्विंटल है वहीं 90 प्रतिशत बाजरा 700 से 750 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बिका है। ऐसे में किसान कैसे गुजारा कर रहा है और कैसे जी रहा है सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इसलिए देश में लाखों किसान आत्महत्या कर चुके हैं या यह भी कह सकते हैं कि सरकार ने आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर दिया है। इसलिए अभी भी वक्त है कि सरकार किसानों की आर्थिक हालत सुधारने का प्रयास करे। उन्होंने मांग की है कि आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए जो स्वामी नाथन आयोग के फामूले सी-2 जमा 50 प्रतिशत के हिसाब से करीब 7.25 रुपए प्रति किलो बनता है। आलू को तुरंत निर्यात किया जाए। स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट अनुसार जब किसी कृषि उत्पाद का रेट मार्किट में ज्यादा गिरता है उससे किसानों को बचाने के लिए सरकार एक कोष स्थापित करे। इससे ऐसे समय में किसान की भरपाई की जा सके। आलू उत्पादक किसानों को तुरंत राहत देने के उपाय किए जाएं।  इस अवसर पर राकेश कुमार, बलकार ङ्क्षसह, मेहर ङ्क्षसह लाडवा, कर्म ङ्क्षसह मथाना, कुलवंत सुलखनी, गुरबचन, डा. जसबीर नलवी, बाबू राम गुंदीयाना, विजय मैहत्ता यमुनानगर सहित सैकड़ों की संख्या में किसान उपस्थित थे।

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