Thursday, December 22, 2011

हजंका के बागी विधायकों को लेकर गरमाई हरियाणा की राजनीती



इनेलो और कांग्रेस के बीच जारी हुआ राजनैतिक मुकाबला
चंडीगढ़ / पवन सोंटी 

पंजाब एव हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा हजंका के बागी विधायकों को लेकर दिए गए निर्देशों ने हरियाणा कि राजनैतिक फिजां को गरमा दिया है| जहां इनेलो इसे भूनाने पर लगी है वहीँ कांग्रेस इससे किसी ना किसी तरह पिच्छा छुड़ाने के लिए पैंतरे आजमा रही है| गुरूवार को दोनों ही दलों ने अपने पत्ते फैंके|
इनेलो ने हरियाणा के राज्यपाल महामहिम जगन्नाथ पहाडिय़ा को एक ज्ञापन देकर भ्रष्ट, अनैतिक व दलबदलू हुड्डा सरकार को बर्खास्त किए जाने की मांग की है तो कांग्रेस की और से हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से लिखित अनुरोध करके पांच विधायकों के बारे अन-अटैच्ड तथा कार्यालय न संभालने के कोर्ट के निर्देश संबंधी मामले को स्वयं देखने और उचित निर्देश देने की प्रार्थना की है ।
इनेलो विधायकों के एक प्रतिनिधिमण्डल ने गुरुवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा, प्रधान महासचिव डॉ. अजय सिंह चौटाला व विधायक दल के उपनेता शेर सिंह बडशामी के नेतृत्व में राज्यपाल से भेंट कर एक ज्ञापन सौंपा और 20 दिसंबर को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा पांच दलबदलू विधायकों के संदर्भ में दिए गए फैसले के बाद कांग्रेस की अल्पमत सरकार को बर्खास्त किए जाने की मांग की। इनेलो विधायकों ने राज्यपाल को बताया कि हुड्डा सरकार माननीय न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हुए दलबदलू विधायकों को बर्खास्त करने में आनाकानी कर रही है।

राज्यपाल से लगाई कांग्रेसी विधायकों की शिकायत
इनेलो नेताओं ने राज्यपाल को यह भी बताया कि कांग्रेस के दो मौजूदा विधायकों व एक पूर्व विधायक ने आज एक पत्रकार सम्मेलन में जिस तरह से न्यायपालिका की अवमानना करने का प्रयास किया है उससे साफ है कि कांग्रेस पार्टी को अब न्यायपालिका पर भी भरोसा नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि हुड्डा सरकार को एक पल भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है।
इनेलो प्रतिनिधिमण्डल में थे कौन?
कलायत के विधायक रामपाल माजरा, पूर्व मंत्री मोहम्मद इलियास, इसराना के विधायक कृष्ण पंवार, कालका के विधायक प्रदीप चौधरी, रादौर के विधायक बिशन लाल सैनी, रानिया के विधायक कृष्ण कम्बोज, परमिंदर ढुल (जुलाना), कलीराम पटवारी (सफीदों), नरेंद्र सांगवान (घरौंडा), डॉ. अशोक कश्यप (इंद्री), मामू राम गोंदर (नीलोखड़ी), राजबीर बराड़ा (मुलाना), दिलबाग सिंह (यमुनानगर), फूल सिंह खेड़ी (गुहला), गंगाराम (पटौदी), पिरथी सिंह नंबरदार (नरवाना) व विधायक नसीम अहमद के अलावा पार्टी के प्रदेश महासचिव अशोक शेरवाल, मीडिया प्रभारी राम सिंह बराड़ व कार्यालय सचिव एनएस मल्हान सहित पार्टी के अनेक प्रमुख नेता शामिल थे।

उखाड़े कांग्रेस के गड़े मुर्दे
इनेलो प्रतिनिधिमण्डल ने राज्यपाल को बताया कि कांग्रेस ने हरियाणा में आया राम गया राम की संस्कृति शुरू की और बाद में एक मुख्यमंत्री ने अपने समूचे दल सहित दलबदल कर डाला। दलबदल की विशेष कला का लाभ 90 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री की सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव को विफल करने में भी उठाया गया। राज्यपाल को इनेलो विधायकों ने ये भी बताया कि राजनीति की पराकाष्ठा उस समय हो गई जब संसद ने परमाणु ऊर्जा विधेयक के पारित होने पर कांग्रेस सरकार एक बार फिर निर्भर थी। उस समय पूरी दुनिया ने देखा कि लाखों रुपए यह दिखाने के लिए उछाले गए कि किस तरह कांग्रेस अपनी सरकार बचाने के लिए सांसदों की खरीदोफरोख्त कर रही है। इनेलो ने महामहिम को बताया कि हरियाणा के राजनीतिक भ्रष्टाचार का इतिहास यह साबित करता है कि कांग्रेस ही इसकी जनक है और अपनी परिपाटी का अनुसरण करते हुए कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव के बाद विपरीत जनादेश के बावजूद दलबदल की राजनीति का सहारा लेकर उसने अपनी सरकार बनाई थी। कांग्रेस की इस अनैतिक और भ्रष्ट राजनीति की पोल पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय की खण्डपीठ के फैसले ने खोल दी है। दलबदलू विधायकों के संदर्भ में जिस तरह से विद्वान न्यायाधीशों ने टिप्पणी की है उन्हें देखते हुए यह स्पष्ट हो जाता है कि उस कुकृत्य के लिए मूल रूप से भ्रष्ट राजनीति को चलाने वाली कांग्रेस के सत्ताधारी नेता जिम्मेदार हैं।

सरकार को बर्खास्त कर प्रदेश पर लगे कलंक को धोने का काम करेंगे महामहिम: इनेलो
इनेलो नेताओं ने महामहिम को बताया कि पिछले दो साल से अधिक समय से हरियाणा एक बार फिर दलबदलुओं पर आधारित सरकार के कलंक का बोझ उठा रहा था और उच्च न्यायालय के फैसले के कारण अब एक ऐसा अवसर मिला है जिससे भ्रष्ट व अनैतिक हुड्डा सरकार को बर्खास्त करके उस कलंक को धोया जा सकता है। इनेलो नेताओं ने उम्मीद जताई कि महामहिम प्रदेश की जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप अपना दायित्व निभाते हुए मौजूदा सरकार को बर्खास्त कर प्रदेश पर लगे कलंक को धोने का काम करेंगे।

डिवीजन बैंच को अपने अधिकार क्षेत्र में ही फैसला करना चाहिए था: कांग्रेस
उधर हरियाणा के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं विधायक रघबीर  सिंह कादयान, हरियाणा लोकसेवा आयोग के पूर्व चेयरमैन एवं विधायक भारत भूषण बत्रा तथा पूर्व मंत्री एवं प्रशासकीय सुधार आयोग के पूर्व चेयरमैन करण सिंह दलाल ने पजांब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से लिखित अनुरोध करके पांच विधायकों के बारे अन-अटैच्ड तथा कार्यालय न संभालने के कोर्ट के निर्देश संबंधी मामले को स्वयं देखने और उचित निर्देश देने की प्रार्थना की है ।
    आज यहां पत्रकार वार्ता करते हुए वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को एक लिखित अनुरोध किया है। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 10 में विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है कि यह मामला स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में आता है और डिवीजन बैंच को अपने अधिकार क्षेत्र में ही फैसला करना चाहिए था।

कहा: कुलदीप बिश्नोई ने कोर्ट में नहीं की थी ऐसी कोई अपील
 उन्होंने कहा कि याचिकाकत्र्ता कुलदीप बिश्नोई ने कोर्ट में ऐसी कोई अपील भी नहीं की थी। ऐसे में इस मामले में कोर्ट द्वारा ऐसे निर्देश देने की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने कहा कि यह सारा मामला संविधान के अनुच्छेद 10 के तहत स्पीकर को देखना होता है और उसे फैसला लेने से पूर्व सम्बन्धित तथ्य और हालात को ध्यान में रखते हुए निर्देश नहीं दिए जा सकते। गौरतलब है कि स्पीकर ने सिंगल बैंच द्वारा उन्हें फैसला करने के लिए अतिरिक्त समय सीमा मांगने के लिए अपील की थी और फैसला भी इसी बात पर किया जाना था।
            अपनी रिप्रैजेंटेशन में वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि कोर्ट को स्पीकर द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद ही हस्तक्षेप करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को असम्बन्धित घोषित करने और उन्हें कोई कार्यालय न सम्भालने सम्बन्धी निर्देश अपनी सीमा का अतिक्रमण है। उन्होंने कहा कि फैसले से विधानसभा के कार्यक्षेत्र में दखल अंदाजी हुई है और इस दखल अंदाजी से बचा जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि खास बात यह है कि मामला बैंच के समक्ष ऐसी कोई अपील नहीं की गई थी  और न ही कुलदीप बिश्नोई ने इस सम्बन्ध में कोई राहत मांगी थी।



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