Wednesday, December 7, 2011

एड्स की चपेट में है शाहाबाद मारकंडा



पिछले वर्ष की तुलना में भारी वृद्धि हुई है एचआईवी पीडि़तों की
8 महीनों में 18 नए केस सामने आए
क्षय रोग के भी हैं कई मामले

शाहाबाद मारकंडा/सुरेंदरपाल सिंह वधावन
शाहाबाद क्षेत्र में एचआईवी पॉजिटीव लोगों में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष भारी वृद्धि देखने को मिली है। इसका एक कारण है कि जनता एड्स जैसी बीमारी के प्रति जागरूक हुई हैं और स्वयं एड्स सैंटर पर जांच करवाने के लिए पहुंच रहे हैं। जहां वर्ष 2009 में शाहाबाद के इलाके में 26 एड्स के रोगी सामने आए थे वहीं 2010 में यह संख्या घटकर केवल 13 रह गई थी और 2011 में बढकर 18 तक जा पहुंची है। शाहाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हरियाणा एड्स कंट्रोल सोसायटी द्वारा चलाए जा रहे नि:शुल्क सामूहिक जांच व परामर्श केंद्र में काउंसलर वरुण कौशिक ने बताया कि वर्ष 2011 में 1980 व्यक्तियों को एड्स बिमारी बारे अस्पताल में जानकारी दी गई जिनमें से  706 गर्भवती महिलाएं तथा 1274 आम व्यक्ति शामिल थे। उन्होंने बताया कि 1979 टैस्ट किए गए जिसमें से 1253 आम जनता तथा 706 गर्भवती महिलाएं शामिल थीं। उन्होनें बताया कि किए गए टैस्टों में से  18 व्यक्ति एड्स ग्रस्त पाए गए।  जिसमें एक गर्भवती महिला तथा 17 आम व्यक्ति शामिल हैं। उन्होने बताया कि 15 से 14 आयु वर्ग में 4 लोग एडस से ग्रस्त , 25 से 34 आयु वर्ग में 5, 35 से 49 आयु वर्ग में  8 तथा 50 वर्ष की आयु का एक व्यक्ति एड्स ग्रस्त शामिल है। उन्होने बताया कि इनमें 10 पुरूष व 8 महिलाएं एड्स से ग्रस्त हैं। उन्होंने बताया कि टीबी विभाग से 76 केस उनके पास आए व उन्होने 107 केस टीबी विभाग को भेजे। वरूण के बताया कि आईसीटीसी विभाग में 90 से भी अधिक रोगियों की पहचान हो चुकी है जो अपना ईलाज करवा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सितंबर व अक्तूबर माह में नुक्कड़ नाटकों की एक श्रृंखला आयोजित की गई जिसके अंतर्गत रावी कालोनी, डेहा बस्ती, शरीफगढ़, डीग तथा खरींडवा आदि में नुक्कड् नाटको की सहायता से जनता को जागरूक किया गया। केंद्र के काउंसलर वरुण कौशिक ने  बताया कि समय-समय पर केंद्र की स्थानीय शाखा द्वारा हल्के के गांव में जाकर शिविर लगाए जाते हैं तथा लोगों के रक्त के नमूने लिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र में एचआईवी टैस्ट बिल्कुल नि:शुल्क किया जाता है तथा टैस्ट करवाने वाले व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाता है। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिला व टीबी रोग से ग्रस्त व्यक्ति को यह टैस्ट जरूर करवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एड्स वह रोग है, जो एचआईवी वायरस के कारण होता है तथा इस बीमारी के बाद मनुष्य का प्रकृतिक सुरक्षा तंत्र धीरे-धीरे खत्म होने लगता है, जिस कारण शरीर की बीमारियों से लडऩे की शक्ति कम हो जाती है। धीरे-धीरे जुकाम जैसी साधारण बीमारी भी असाध्य होती हुई निमोनिया में बदल कर मृत्यु का कारण बन जाती है। उन्होंने कहा कि एड्स के बारे में अधिक जानकारी ही इसका मात्र उपचार है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के बाद मनुष्य का वजन अचानक कम होने लगता है तथा बुखार, खांसी आना तथा इन बीमारियों का आम इलाज से ठीक न होना आदि इस बीमारी के लक्षण हैं। उन्होंने कहा कि हमेशा अपने तथा अपने साथियों की सुरक्षा के लिए एचआईवी एड्स तथा इससे बचने के उपायों की जानकारी बिना हिचकिचाए अधिक से अधिक लोगों को देनी चाहिए तथा स्वैच्छिक परामर्श केंद्र एवं सामूहिक जांच के माध्यम से जांच करवानी चाहिए। उन्होंने बताया कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को एड्स होने में चार-पांच वर्ष या कभी-कभी यह अवधि 10 वर्ष भी हो सकती है। लोग आज भी एचआईवी को ही एड्स समझ लेते हैं जबकि यह गलत है। उन्होंने बताया कि एचआईवी केवल एक संक्रमण है, जिसे एड्स में परवर्तित होने में बहुत साल लग जाते हैं। यह भी संभव है कि यदि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति पूरी सतर्कता बरते तो उसे एड्स की स्थिति में पहुंचने में काफी समय लग जाए।


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