Sunday, December 4, 2011

हंसराज हंस के भक्ति गायन से सराबोर हुआ ब्रह्मसरोवर



कल्ला दिल नईयों, जान वी ए मंगदा, इश्क दी गली बीचों कोई-कोई लंगदा
कुरूक्षेत्र, 4 दिसम्बर (पवन सोंटी)
            कुरूक्षेत्र उत्सव गीता जयन्ती समारोह के तीसरे दिन 4 दिसम्बर को सूफियाना सांझ का आगाज सुप्रसिद्ध सूफी गायक हंसराज हंस के भक्ति गायन से हुआ। इसका शुभारम्भ हरियाणा के वित्तमंत्री स. हरमोहिन्द्र सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर किया और शाल भेंट करके हंसराज हंस की गायकी को सम्मान प्रदान किया। हंसराज हंस ने कार्यक्रम का शुभारम्भ हे गीता के महा रचयिता तुम्हे लाख-लाख प्रणाम कृष्णा, द्वापर युग में तुने दिया गीता का उपदेश कृष्णा से किया और पूरे वातावरण को भक्ति में संगीत और गीत से कृष्णामय बना दिया।
            कार्यक्रम के हर पायदान पर श्रोताओं को न केवल हंसराज हंस की सूफी गायकी परिपक्वता का  एहसास हुआ, बल्कि उन्होंने अपने जोशीले और रशीले कंठ से दर्शकों की हर प्रकार की गायन शैली की मांग को पूरा किया। उन्होंने कहा कि संगीत वही है जो संगत को भाए। कार्यक्रम में गीता जयन्ती की शुभकामनाएं देते हुए गीत गाया जिसके बोल थे- गीता से उपदेश न मिलता कोई जीवन का सार न होता। उन्होंने प्रसिद्ध गजल गायक स्वर्गीय जगजीत सिंह को अपनी श्रद्धांजलि देते हुए उन द्वारा गाई गई विख्यात गजल- गरज बरस प्यासी धरती पर, फिर पानी दे मौला, चिडिय़ा को दाने, बच्चों का गुड़धानी दे मौला।
 
            उन्होंने जैसे ही मौसम फिल्म में गाए गए गीत -इक तू ही तू की शुरूआत की पूरा पंडाल न केवल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा बल्कि श्रोता उनकी मधूर गायन शैली के साथ झूमने पर मजबूर हुए। आम तौर पर सूफी गायकी को प्राथमिकता देने वाले हंसराज हंस आज गीता जयन्ती समारोह में पहुंचे श्रोताओं पर विशेष मेहरबान नजर आए और उन्होंने श्रोताओं की हर मांग को पूरा करके उनके दिलों को जीत लिया। अपने नए गीतों के साथ-साथ जैसे ही उन्होंने-कल्ला दिल नईयों, जान वी ए मंगदा, इश्क दी गली बीचों कोई-कोई लंगदा गीत आरम्भ किया तो मुख्य अतिथि सहित पंडाल में मौजूद प्रत्येक श्रोता उनकी गायन शैली में सुर से सुर मिलता नजर आया। एक लम्बे अंतराल के बाद गीता जयंती के अवसर पर देश की मधुर और दिलकश आवाज का जादू श्रोताओं  के सिर चढ़ कर बोला। उनकी गायकी खचा खच भरे पंडाल में को न केवल भाव विभोर कर दिया, बल्कि उन्हें सूफियाना दस्तूर की गायकी की गहराई में मनोरंजन के साथ-साथ आत्मसात करने का खूबसूरत मौका भी दिया।  कदरदान श्रोताओं की भावनाओं को भांपते हुए हंसराज हंस ने अपना सुपरहिट गीत ये जो सिली-सिली चलदी हवा- पेश किया और इसके उपरान्त क्रमवार श्रोताओं की मांग को पूरा करते हुए दिल चोरी साडा हो गया, दिल टोटे-टोटे हो गया, इक खैर मंगा सोहणिया मै तेरी, दुआ न कोई होर मंगदी, दमा दम मस्त कलंदर सहित सभी प्रसिद्ध गीत प्रस्तुत किए और अपनी गायन  कला से श्रोताओं को कील दिया।
            उन्होंने सूफियाना गायकी को ईश्वर की इबादत बताते हुए कहा कि भारत के सूफी मत के संतो ने ईश्वर प्राप्ति के लिए इसी शैली को प्रयोग किया और इसे संत गायन शैली भी कहा जाता है। युवा गायकों में सूफियाना अंदाज के प्रति उदासिनता पर उन्होंने खेद व्यक्त किया और कहा कि गायन शैली से रूबरू उस्ताद गायकों का यह नैतिक दायित्व है कि वे भावी पीढिय़ों तक भारत की इस अमीर विरासत को पहुंचाए। उन्होंने कुरूक्षेत्र विकास बोर्ड, जिला प्रशासन, सूचना, जन सम्पर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग हरियाणा द्वारा प्राचीन संस्कृति और कला के विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।
          समारोह में जिला उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़, अतिरिक्त उपायुक्त सुमेधा कटारिया, केडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अशोक बांसल, पूर्व विधायक साहब सिंह सैनी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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